Wednesday, January 29, 2014

मेरा शहर

(१)
ठूँठ
हरा-भरा आदमी
जंगल से आया
शहर की झुग्गियों में
ठूँठ बन गया।

(२)
जमीन
आसमान पाने की लालसा
उनकी कमजोरी है
मकान पाने का
हमारा युद्ध जारी है
जमीन का टुकड़ा
आसमान से भारी है।

(३)
रोजगार
औरत के नाम पर
नपुंसक हो जाना
मर्दों की शान है
हिजड़ों के नाम पर
पैसे की भरमार है
यह शहर है
हाँ, शहर है
जहाँ
रोजगार पाने से
हिजड़ा होना आसान है।


(४)
आदमी
समस्याओं के ढेर में
गड़ा है आदमी
ट्रेन के दरवाजे पर
जड़ा है आदमी
आदमियों की भीड़ में
खोया है आदमी।

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