भीड़ में फंसी
आत्मा की चीख
सुनकर
मैं दौड़ा था
सब हँस-हँस कर
हाँफ रहे थे
मैं
कायर की तरह
काँप रहा था।
भीड़ जमी थी
समाजवाद-दहेज
और
राजनीति ने
एक नारी पर
बलात्कार किया था।
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('सीढ़ी पर बैठी औरत' में प्रकाशित)
('सीढ़ी पर बैठी औरत' में प्रकाशित)
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