चाँदनी की कोख
उजाड़कर
उजाला हुआ नहीं
करता
खाली आँचल मुँह में
चबा के
भूखा बच्चा चुप रहा
नहीं करता
यह जितना सच है
उतना ही सच यह भी
है
कि...
भूख और अपमान से
तड़फड़ाता आदमी
आत्महत्या या
चोरी करने से नहीं
डरता।
देश नंगा है तो
क्या हुआ
आदमी कपड़े पहनने से
बाज नहीं आता।
No comments:
Post a Comment