Wednesday, January 29, 2014

सच

चाँदनी की कोख उजाड़कर
उजाला हुआ नहीं करता
खाली आँचल मुँह में चबा के
भूखा बच्चा चुप रहा नहीं करता
यह जितना सच है
उतना ही सच यह भी है
कि...
भूख और अपमान से
तड़फड़ाता आदमी
आत्महत्या या
चोरी करने से नहीं डरता।
देश नंगा है तो क्या हुआ
आदमी कपड़े पहनने से
बाज नहीं आता।

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