Thursday, January 2, 2014

चक्रव्यूह



 मेरे घर से सटा
एक वेदना का कमरा है
जिसमें हर रात
मैं...
उसकी हर एक झुर्री से
काँटों के झुरमुट में लगे
एक फूल-सा
इतिहास पढ़ता हूँ।
खामोश जवानी
स्कूल और कॉलेज की
दीवारों से चिपकी
सब्जी खाने में
झोले से लटकी
उजड़ बालों सी
मेरे बच्चों की माँ
वेदना की कराह
रोटी-बच्चे
स्कूल-कॉलेज
सबका चिपकना
सहते हुए
मैं वेदना का वह बूढ़ा चेहरा
चूमता हूँ
हाँ
चूमता हूँ
उसके घर से
बाहर निकलते हुए।


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