पता चला है कि
मंत्रालय के सरकारी
अफसर
नकाब पहने हुए
एक आदमी को
तलाश रहे हैं।
वह आदमी
जिसका पेट
पीठ से सटा है
और
नकाब में छुपा
उसका चेहरा
फटा है।
अफसरों को
यह पता है कि
वह आशावादी है
और
उसकी आशा
बरामदे में
हिंडोले पर झूलती
नाबालिग लड़की-सी
आसमान छूने का
प्रयास करती है।
सदमा-दर-सदमा
पार करता
वह आदमी
मंत्रालय की
सीढ़ियों पर
पाया जा सकता है।
चेहरे से फटा आदमी
मुँह से भी
फट सकता है।
इसी खौफ से
उसे पाने के प्रयास
में
वे अपना पसीना
निचोड़ रहे हैं।
लेकिन
उनको अब तक
यह पता नहीं चला है
कि
गुमशुदा करार दिया
गया
वह नकाबपोश आदमी
जो अपना
फटा चेहरा
छोड़ आया था
संसद भवन के दरवाजे
पर
लोगों ने उसे
खड़े हुए देखा है
बंदूकों की दुकान
पर।
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