Wednesday, January 1, 2014

नया संबोधन

वक्षस्थलों के सौंदर्य में
झाँकता हुआ मातृत्व
और
हर एक बलात्कार की भावना
पैदा कर सकती है एक जीव।


जिसे कभी-कभी
लावारिस संबोधन में
बँध जाना पड़ता है
समाज के लिए
या सड़क के किनारे
रख दिया जाता है।


वैसे ही
भूख के सौंदर्य में
झाँकते हुए पेट से
और
राजनीति के बलात्कार से
पैदा होती है मेरी कविता
जिसे सड़कों पर रख
ढूँढ़ने निकला हूँ
एक नया संबोधन।

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